Saturday, November 09, 2013

तन्हाई

अब तुमसे रोज़ तो मुलाक़ात नहीं हो पाती है, लेकिन
तुम्हारे हिस्से का वक़्त आज भी तन्हा ही गुज़रता है

याद है, तुम पीछे से चुपचाप आकर अपनी हाथों से मेरी आँखों को ढाँक दिया करती थी
ये आँखें आज भी उस स्पर्श को बेताब हैं, खुले रहकर बहुत आंसू इनसे बहता है

वो दुपट्टे में तेरे शीशे के चाँद जिनमें हम अपना चेहरा देखते थे
आईने तो कई हैं आज मेरे घर में, हमारे इक अदद दीदार की ख्वाहिश में हर एक तरसता है

वो गुलाब जो तुम्हारे बालों में शर्मा के लाल हो जाता था; मुस्कुराता, खिलखिलाता रहता था
आज बीमार है वो; पीला, उदास सा डाल पर, किसी के उसको चुराने का इंतज़ार करता है

वो चाय की गरम प्याली जिसकी हर चुस्की में तुम्हारी बातों और मुस्कान का मिठास घुला रहता था
आज पड़ा है किसी कोने में; असहाय, अनाथ सा, बस गिर कर टूट जाने की फ़रियाद करता है




साभार: सुयश अग्रवाल (शुरू की चंद पंक्तियाँ उन से उधार ली हैं)

Saturday, August 31, 2013

एक ऐसी रात में

इन खामोश सी रातों में, जब झींगुर की आवाज़ भी कानों को चुभती है
जब बादलों से भरे आकाश में तारे लुका छुपी खेलते हैं 
जब अँधेरे का स्याह रंग मन की वीरानियों को भरता जाता है 
जब अकेले बैठे,  हथेली में थामी कलम अनायास ही पन्नों पर चल पड़ती है 
पर लिख न पाती वो जो लिखने को उठी थी 
थोड़ी रूकती है, लिखाई टूट जाती है 
जाने क्यूँ भरी हुई स्याही सूख जाती है 
और मैं  ढूंढ ना पाता कोई दूसरा, कागज़ फाड़ देता हूँ 
इक अधूरी कविता से अच्छा तो नहीं है उसका अस्तित्व होना 

इक ऐसी अँधेरी रात में, कमरे के कोने में पड़े 
वो शब्द चमकते हैं, हर एक में अक्स है मेरा
मानो आईने के टुकड़ों में हज़ार शख्सियत हैं 
उन्ही सितारों की तरह जिनका आसमा एक ही है

Wednesday, August 28, 2013

सच्चाई की कड़वाहट

जब शिथिल, मुर्दे समान पड़ा भी कहे कि वो वीर है, 
तब संयम भी क्यूँ न तोड़ मर्यादा की बाँध अधीर हो
जब धुंध की काली चादर फैला आग लगाने वाला कहे वो बलवान है, 
तब उम्मीद का दिया जलाने वाले की वेदना क्यूँ न ज़ाहिर हो
जब वस्त्र पर रक्त की लालिमा की गहराई, कहलाने को शौर्य का प्रमाण हो; 
तब घाव पर मरहम लगाता वो वैद्य, मानो तो इन अमीरों के संसार का फ़क़ीर हो

Monday, March 04, 2013

Fare Thee Well

He turned around and started to walk away. She stood there, fixed, as if he had cast a spell on her. She wanted to call him, to stop him but could not.

Drops of tear fell down her cheeks. She could not keep her last promise too.

It started raining.

She remembered those words -- When you are sad, my world cries. 

The world had certainly ceased to be her anymore.



#Season of farewells