Saturday, October 29, 2011

यूँ ही

बड़ी ही अजीब पहेली है ये जिंदगानी
कभी मीठा सपना, कभी कड़वा सच
और मानो तो एक अनजानी कहानी
कभी मानो तो है सब का साथ
कभी लगे जैसे अकेले ही है सारी राह बितानी
कुछ इच्छाओं, कुछ अपेक्षाओं को पूरा करने की
कोशिश में, अंधे होने की पड़ जाए कीमत चुकानी
दौड़ते दौड़ते पा ली गर मंज़िल जो कभी
राहों की कद्र ना करने की जो है वो आदत पुरानी
कुछ छूट जायेंगे राहों में, साथ हाथ थामे चले थे जो
अब ना मिलेंगे कभी, सोचो तो होगी हैरानी
कब हाथ छूटा पता ना चला
अब उन्हें ढूंढना हो गयी एक बड़ी परेशानी

पर सच मानो तो भूल जाना ये सब
क्योंकि खुश हैं वो जिन्हें बातें याद नहीं पुरानी
जिन्होनें हर गुज़रे विषय से मोह तोड़ लिया है
जिन्हें आती है हर बीती याद जड़ से मिटानी

2 comments:

suvra said...

Saket...beautiful....
profound n true.."kyunki khush hain woh jinhe baatein yaad nahi puraani.."

Saket Ranjan said...

@subhra: sirf wo nahi jinhein yaad nahi, wo bhi jo yaadein mita paate hain.